
Desk News. तिसरे विश्व मराठी संमेलन का उद्घाटन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री और पुणे जिले के पालकमंत्री अजित पवार, मराठी भाषा मंत्री उदय सामंत, महाराष्ट्र विधान परिषद की उपसभापति डॉ. नीलम गोऱ्हे और प्रसिद्ध साहित्यकार पद्मश्री मधु मंगेश कर्णिक की उपस्थिति में हुआ। यह आयोजन मराठी प्रेमियों और साहित्यकारों के जबरदस्त उत्साह के बीच हुआ। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि आज के कृत्रिम बुद्धिमत्ता के युग में मराठी भाषा को नई पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए मराठी भाषा विभाग को चॅट-जीपीटी जैसे स्मॉल लैंग्वेज मॉडल तैयार करने की दिशा में काम करना चाहिए। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मराठी को अभिजात भाषा का दर्जा देने के लिए हम उनका आभार व्यक्त करते हैं और यह संमेलन इस ऐतिहासिक मौके पर आयोजित हो रहा है। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि मराठी भाषा का समृद्ध इतिहास है और यह दुनिया के हर कोने में बसी हुई है। उन्होंने पाणिपत की लड़ाई का उदाहरण देते हुए मराठों के संघर्ष और स्वाभिमान की चर्चा की। इस अवसर पर पद्मश्री मधु मंगेश कर्णिक को ‘साहित्य भूषण’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 93 वर्षीय कर्णिक का साहित्यिक सफर 75 वर्षों से भी ज्यादा लंबा है, और उन्हें इस पुरस्कार से सम्मानित करना एक महत्वपूर्ण घटना है। उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने भी इस आयोजन की अहमियत पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि मराठी भाषा की समृद्धि को देखते हुए, यह संमेलन किताबों और उनके लेखकों का महाकुंभ है। साथ ही उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा कि मराठी भाषा की पहचान सिर्फ महाराष्ट्र में ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में है। उन्होंने इस संमेलन को भविष्य में विदेशों में भी आयोजित करने का सुझाव दिया। समारोह में अनेक साहित्यकारों और समाजिक दिग्गजों ने हिस्सा लिया और संमेलन के महत्व पर अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर मराठी भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए कड़ी मेहनत करने की आवश्यकता की बात की गई, ताकि आने वाली पीढ़ी भी इस भाषा से जुड़ी रहे।