आदिवासियों के स्वास्थ्य और जीवन स्तर को नई दिशा मिलेगी: गोवा के मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत

नागपुर.  दूरदराज और वंचित आदिवासी इलाकों में रहने वाले लोगों की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं पर चर्चा और उनके प्रभावी समाधान के लिए विशेषज्ञों का विचार-विमर्श हमेशा मार्गदर्शक साबित होता है। इसी दृष्टि से महाराष्ट्र स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय ने ‘फिस्ट 2025’ नामक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया है। इस सम्मेलन के माध्यम से आदिवासी समाज के स्वास्थ्य और जीवन स्तर को नई दिशा मिलेगी, ऐसा विश्वास गोवा के मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत ने व्यक्त किया। आदिवासियों की स्वास्थ्य समस्याओं पर चर्चा के लिए महाराष्ट्र स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), नागपुर के संयुक्त तत्वावधान में 31 जनवरी से 2 फरवरी 2025 तक नागपुर में इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया है। आज गोवा के मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत ने इस सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस अवसर पर वे संबोधित कर रहे थे। इस दौरान आदिवासी विकास मंत्री प्रो. अशोक उईके, महाराष्ट्र स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय की कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) माधुरी कानिटकर, एम्स नागपुर के निदेशक डॉ. प्रशांत जोशी, विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. राजेंद्र बंगाल और सम्मेलन के संयोजक डॉ. संजीव चौधरी सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। डॉ. प्रमोद सावंत ने कहा कि दुर्गम इलाकों में रहने वाले आदिवासियों को कुपोषण, संक्रामक रोगों और सिकलसेल जैसी बीमारियों का सामना करना पड़ता है। इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में विशेषज्ञ तीन दिनों तक विभिन्न विषयों पर मार्गदर्शन करेंगे, जिसका निश्चित रूप से आने वाले समय में लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पिछले दस वर्षों में आदिवासी समाज के लोगों के लिए कई योजनाएं और कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, जिससे उनका सशक्तिकरण हो रहा है। आने वाले समय में भी इन योजनाओं और कार्यक्रमों को और अधिक मजबूती मिलेगी। आदिवासी विकास मंत्री प्रो. अशोक उईके ने भी इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस आदिवासी समाज के सर्वांगीण विकास पर विशेष ध्यान दे रहे हैं और इसी दिशा में विभिन्न योजनाएं और कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र के 13 जिले पेसा कानून के अंतर्गत आते हैं, जिनमें 59 तालुके शामिल हैं। राज्य के 41 जिलों के कई विधानसभा क्षेत्रों में आदिवासी बहुल आबादी है। यह समाज पालघर से लेकर भामरागढ़ तक फैला हुआ है। इस सम्मेलन में सामने आने वाले विभिन्न मुद्दों को ध्यान में रखते हुए अगले महीने महाराष्ट्र स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय और एम्स के साथ आदिवासी विकास विभाग की एक विशेष बैठक आयोजित की जाएगी और इस पर आवश्यक कार्यवाही की जाएगी। इस अवसर पर राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन का वीडियो संदेश भी दिखाया गया, जिसमें उन्होंने इस सम्मेलन के आयोजन की सराहना की और शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन आदिवासियों की समस्याओं के समाधान में मददगार साबित होगा।

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