
नागपुर. आदिवासी विकास विभाग ने राज्य की शासकीय आश्रमशालाओं में व्यावसायिक शिक्षा को प्रभावी रूप से लागू करने के लिए लेंड अ हैंड इंडिया संस्था के साथ एक समझौता किया है। इस समझौते का उद्देश्य कक्षा 6वीं से 8वीं तक के छात्रों को पूर्व-व्यावसायिक शिक्षा प्रदान करना है। महाराष्ट्र राज्य में आदिवासी विकास विभाग की 487 शासकीय आश्रमशालाएं हैं, जहां लगभग 2 लाख छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। 2014-15 शैक्षणिक वर्ष से इन आश्रमशालाओं में माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्तर पर व्यावसायिक शिक्षा की सुविधा उपलब्ध कराई गई थी। वर्तमान में, 179 आश्रमशालाओं में कक्षा 9वीं से 12वीं तक के छात्रों को व्यावसायिक शिक्षा दी जा रही है। अब इस नई पहल के तहत कक्षा 6वीं से 8वीं तक के 26,672 छात्रों को पूर्व-व्यावसायिक शिक्षा दी जाएगी। इसमें नागपुर अपर आयुक्तालय के 30,116, नासिक अपर आयुक्तालय के 11,825, ठाणे अपर आयुक्तालय के 7,982 और अमरावती अपर आयुक्तालय के 3,849 छात्रों को शामिल किया जाएगा। समझौते के मौके पर आयुक्त नयना गुंडे, अपर आयुक्त संदीप गोलाईत, सह आयुक्त (शिक्षा) संतोष ठुबे, सहायक प्रोजेक्ट अधिकारी आर.आर. पाटिल, अनिल महाजन, लेंड अ हैंड इंडिया के उपसंचालक निलेश पुराडकर, उपप्रबंधक राजेश्वर गायकवाड़, कौशल शिक्षा अधिकारी उमेश गटकल और यूएनडीपी की अमृता भालेराव उपस्थित थीं। अपर आयुक्त संदीप गोलाईत ने बताया, “व्यावसायिक शिक्षा देने के लिए पहले चरण में 213 शासकीय आश्रमशालाओं का चयन किया गया है। धीरे-धीरे शेष आश्रमशालाओं को भी इस प्रक्रिया में शामिल किया जाएगा। प्रत्येक छात्र को कक्षा 6वीं से ही पूर्व-व्यावसायिक शिक्षा प्रदान की जाएगी।”
समझौते की विशेषताएं
पारंपरिक और कौशल आधारित शिक्षा के बीच अंतर को कम करना।
राष्ट्रीय पाठ्यक्रम में कौशल शिक्षा के लिए अन्य विषयों की तरह 110 घंटे आरक्षित रखना।
व्यावसायिक शिक्षकों का प्रशिक्षण।
कक्षा 6वीं से 8वीं तक पूर्व-व्यावसायिक शिक्षा।
आश्रमशालाओं में गुणवत्तापूर्ण सामग्री की उपलब्धता।
छात्रों को इंटर्नशिप के माध्यम से रोजगार-सक्षम बनाना।
विशेषज्ञों का मार्गदर्शन और क्षेत्रीय यात्राओं का आयोजन।
यह समझौता राज्य में आश्रमशाला के छात्रों को कौशल विकास और रोजगार के बेहतर अवसर प्रदान करने में मदद करेगा।