ऑपरेशन सिंदूर: आतंक के खिलाफ भारत की सर्जिकल प्रतिक्रिया और देश में उठते विरोधाभासी स्वर

Nagpur. जब पूरा देश आतंकियों के खिलाफ की गई जवाबी कार्रवाई और उसकी सफलता पर गर्व महसूस कर रहा है, तब कुछ तथाकथित बुद्धिजीवी ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के नाम में भी “हिंदुत्व” की गंध तलाश रहे हैं। एक प्रसिद्ध राष्ट्रीय दैनिक के डिप्टी एडिटर ने इस नाम को लेकर सोशल मीडिया पर अपनी नाराजगी जताई। असल में यह विरोध ‘सिंदूर’ शब्द से ज़्यादा इस बात से है कि यह नाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा चुना गया है। उल्लेखनीय है कि इसी अख़बार के एक रिपोर्टर ने मंगळवार की रात हुई कार्रवाई के बाद भारत के दो विमान गिराए जाने की झूठी खबर दी थी, जिसे उसने जल्दबाज़ी में डिलीट कर दिया। लेकिन तब तक पाकिस्तान ने इसका दुष्प्रचार कर ही दिया। पुणे और मुंबई के कुछ कथित विचारकों ने भी इस ऑपरेशन पर अजीबोगरीब प्रतिक्रिया दी। एक महिला ने सोशल मीडिया पर इसे ‘मोदी सरकार’ की कार्रवाई कहकर सराहना की, तो वे भड़क उठे। उनका कहना था कि इसे ‘भारत सरकार’ कहा जाना चाहिए। जबकि इतिहास में ‘नेहरू सरकार’ या ‘इंदिरा सरकार’ जैसे उल्लेख आम रहे हैं। लेकिन ‘मोदी सरकार’ सुनते ही कुछ लोगों को जैसे मिर्ची लग जाती है।’ऑपरेशन सिंदूर’ नाम में निर्दोषों की हत्या का प्रतिशोध, और आतंकियों के उस दर्प ‘जा, मोदी को बोल’ के खिलाफ आक्रोश समाहित है। इस नाम में उन महिलाओं का दर्द और बदला भी है जिनकी जिंदगी आतंकियों ने उजाड़ दी। इस सफल अभियान के लिए भारतीय सेना को तीन बार नमन किया जाना चाहिए। इस कार्रवाई की तुलना अमिताभ बच्चन की फिल्म ‘दीवार’ के एक संवाद से की जा रही है— “तुम मुझे ढूंढ रहे हो पीटर, और मैं तुम्हारा यहां इंतजार कर रहा हूं।” भारतीय सेना ने पाकिस्तान को भ्रमित कर एक ऐसा सटीक हमला किया जो रणनीति और धैर्य का बेहतरीन उदाहरण है। मोदी, शाह, राजनाथ और डोभाल की टीम ने जिस तरह मॉक ड्रिल के जरिए पाकिस्तान को चकमा दिया, वह छत्रपती शिवाजी महाराज की युद्धनीति की याद दिलाता है। ऐसा ही हमला 7 दिसंबर 1941 को जापान ने अमेरिका के पर्ल हार्बर पर किया था, जिसमें अमेरिका की 180 विमानें नष्ट हुईं और 2400 सैनिक मारे गए थे। इस ऑपरेशन की सबसे बड़ी सफलता में एक यह भी रही कि आतंकियों के सरगना मसूद अजहर का पूरा परिवार इसमें खत्म हो गया। यही अजहर 1999 के IC 814 विमान अपहरण में भारत की जेल से छोड़ा गया था। अब जब उसके 14 परिजन मारे गए हैं, तो देश की मांग है कि उसे भी जल्द समाप्त किया जाए। हालांकि कुछ मतभेद वाले स्वर देश में सुनाई दे रहे हैं, फिर भी संकट के समय में भारत एकजुट होता है। इस भावना का सबसे सुंदर उदाहरण सचिन तेंडुलकर का ट्वीट है यदि आने वाले दिनों में भारत कोई और कदम उठाता है, तो हम फिर मिलेंगे। देश की केवल एक ही इच्छा है— पाकिस्तान का पूरी तरह खात्मा।

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