खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री बने छगन भुजबल, कहा- आज ही लूंगा चार्ज, समस्या सुलझाने अधिकारीयों के साथ करूँगा बैठक

नागपुर: मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) की अगुवाई में बानी महायुति सरकार (Mahayuti Government) के नवनियुक्त मंत्री छगन भुजबल (Chhagan Bhujbal) को विभाग दे दिया गया है। मुख्यमंत्री फडणवीस ने भुजबल को खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग (Food and Civil Supplies Department) की जिम्मेदारी मिली है। इसको लेकर अधिसूचना भी जारी कर दी है। वहीं विभाग आवंटन किये जाने पर भुजबल ने कहा कि, “वह आज ही मंत्रालय जाकर विभाग का कार्यभार सँभालनेगे। वहीं राशन कार्ड सहित अनाज वितरण की समस्या पर उन्होंने कहा कि, “हमारे मुख्य कार्यकारी अधिकारी सहित सचिवों की बैठक करूँगा और आने वाली समस्या के समाधान का प्रयास किया जाएगा।”
ज्ञात हो कि, भुजबल निजी कार्यक्रम में शामिल होने के लिए नागपुर पहुंचे थे। भुजबल सुबह नागपुर पहुंचे और अपने तय कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे। इसी दौरान उन्हें विभाग के आवंटन की जानकारी मिली। विभाग मिलने की खबर आते ही भुजबल तुरंत वापस मुंबई लौट गए। जाने से पहले उन्होंने एयरपोर्ट पर पत्रकारों से बात की। जहां उन्होंने खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति सहित नागरिकों को आने वाली समस्या को लेकर खुलकर बात की।
सभी को मिले गुणवत्ता वाला अनाज यह लक्ष्य
विभाग मिलने के बाद प्राथमिकताओं के बारे में बताते हुए भुजबल ने कहा, “पहला काम यही हैकि मेरे पास अन्ना और धान्य है। कोरोना काल के समय दो साल जब लोग घरों में बैठे हुए थे  उस समय मैंने हाथ जोड़कर हमारे ड्राइवर हो,क्लीनर हो या अनाज की बोरियां उठाने वालो के साथ मिलकर राज्य के 54 हजार दुकानों में अनाज की आपूर्ति की।” उन्होंने आगे कहा, “हमारे विभाग ने दिन-रात काम किया, अब भी हमारा लक्ष्य यही है कि एक तो घोटाले न हों और दूसरा, सभी गरीबों को अच्छी गुणवत्ता वाला अनाज मिले।”
पैसे को लेकर झूठ नहीं बोला जा सकता है
सरकार की तिजोरी पर बढ़ते दबाव और धन की उपलब्धता पर भुजबल ने खरी खरी सुनाई। भुजबल ने कहा, “पैसे पर झूठ नहीं बोला जा सकता है। घर पर अचानक कोई स्थिति बन जाए तो उसमें पैसे खर्च करने पड़ते हैं। राज्य में फंड ऐसे ही आते हैं, अचानक हमारी लाड़ली बहनों का तीस से चालीस हजार करोड़ का बोझ बढ़ गया है। इसे कैसे निकाले इसका काम शुरू है। मुख्यमंत्री और वित्तमंत्री अजित पवार इसमें लगे हुए हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “कई नई योजनाएं शुरू की जा सकती हैं, लेकिन वित्तीय स्थिति को देखने और उन्हें विश्वास में लेने के बाद ही किसी नई योजना को लागत प्रभावी माना जाएगा। अन्यथा, हम लागत-मुक्त योजनाओं पर चर्चा करेंगे।”
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