नागपुर. विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने किसानों को पूर्ण कर्जमाफी का आश्वासन देकर उनके वोट हासिल किए, लेकिन सत्ता में आते ही इस वादे को भुला दिया गया। साथ ही, फसल को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीदने का वादा भी किया गया था, लेकिन इसे भी ठुकरा दिया गया। न तो प्राकृतिक आपदा से हुए नुकसान की भरपाई की गई और न ही फसलों को उचित दाम मिले, जिससे किसान कर्ज के बोझ तले दबते जा रहे हैं। खाद की कीमतों में भारी बढ़ोतरी कर दी गई है, लेकिन अब इसमें एक और नई समस्या जोड़ दी गई है। आवश्यक खाद की कमी दिखाकर किसानों को जबरन उन उत्पादों को खरीदने के लिए मजबूर किया जा रहा है, जिनकी कोई मांग नहीं है। इस तरह से राज्य की सत्ताधारी पार्टी किसानों को लूटने का काम कर रही है, ऐसा आरोप राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार गुट) के नेता और पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख ने लगाया है। खेती के लिए डीएपी, यूरिया और 10:26:26 जैसे खादों की भारी मांग रहती है। फसल उत्पादन बढ़ाने और बागवानी को मजबूती देने के लिए भी इनकी जरूरत होती है। लेकिन अब खाद कंपनियां इस मांग का फायदा उठाकर किसानों पर दबाव बना रही हैं। आवश्यक खाद के साथ-साथ गैर-जरूरी उत्पादों को खरीदने के लिए मजबूर किया जा रहा है, जिनका कोई खास उपयोग नहीं होता। यह समस्या पूरे राज्य में बड़े पैमाने पर देखी जा रही है, लेकिन कृषि विभाग इसे नजरअंदाज कर रहा है, जिससे खाद कंपनियों को मनमानी करने का मौका मिल रहा है। इस वजह से पहले से ही आर्थिक संकट से जूझ रहे किसानों को और मुश्किल में डाला जा रहा है। अनिल देशमुख ने बीजेपी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि यह सरकार किसानों के हित की बजाय उद्योगपतियों के पक्ष में खड़ी है। डीएपी की मांग अधिक होने पर किसानों को नैनो यूरिया, 12:61:00, सल्फर और पीडीएम पोटाश खरीदने के लिए मजबूर किया जाता है। इसी तरह, यूरिया की कमी बताकर 19:19:19 और पीडीएम पोटाश लेने के लिए बाध्य किया जाता है। दुकानदारों को भी इस जबरदस्ती के लिए मजबूर किया जाता है और उन पर कार्रवाई का डर दिखाया जाता है। लेकिन खाद कंपनियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाती, जो बिना लिंकिंग किए दुकानों को खाद उपलब्ध ही नहीं कराती हैं।किसानों के बीच सबसे ज्यादा मांग वाले 10:26:26 खाद की पिछले चार महीनों से एक भी खेप नागपुर जिले में नहीं आई है। कृषि विभाग इस पर कोई ठोस जवाब नहीं दे रहा है। अधिकारी सिर्फ यह कहकर पल्ला झाड़ रहे हैं कि “हमने मांग तो की है, लेकिन कंपनियां इसे भेज नहीं रही हैं, इसमें हम क्या कर सकते हैं? एक तरफ नेता सत्ता की राजनीति में व्यस्त हैं, वहीं किसानों की समस्याओं की ओर ध्यान देने के लिए किसी के पास समय नहीं है। यही वजह है कि किसानों की परेशानियां लगातार बढ़ती जा रही हैं, ऐसा कहना है अनिल देशमुख का।
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