
पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख ने कहा कि निवृत्त न्यायाधीश चांदीवाल द्वारा उन पर लगाए गए आरोपों की 11 महीनों तक जांच की गई। इस जांच के दौरान कई लोगों के बयान दर्ज किए गए और 1400 पन्नों की रिपोर्ट तैयार की गई। अनिल देशमुख के अनुसार, इस चांदीवाल आयोग की रिपोर्ट में उन्हें कहीं भी दोषी नहीं ठहराया गया है। चांदीवाल आयोग की जांच के दौरान अनिल देशमुख पर लगाए गए आरोपों का कोई भी सबूत नहीं मिला। परमबीर सिंह, जिन्होंने आरोप लगाए थे, को छह बार समन भेजा गया, लेकिन वह आयोग के सामने पेश नहीं हुए। अंततः उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया। बाद में परमबीर सिंह ने शपथपत्र देकर स्वीकार किया कि उनके पास अनिल देशमुख के खिलाफ कोई सबूत नहीं है और उन्होंने केवल सुनी-सुनाई बातों के आधार पर आरोप लगाए थे। सचिन वाझे ने भी आयोग के सामने कहा कि अनिल देशमुख ने उन्हें बार मालिकों से पैसे इकट्ठा करने के लिए कभी नहीं कहा। आयोग की जांच में उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं पाया गया। मीडिया में यह खबरें भी आईं कि इस रिपोर्ट से अनिल देशमुख को क्लीन चिट मिली है। हालांकि, “क्लीन चिट” शब्द रिपोर्ट में उल्लेखित नहीं है, लेकिन 1400 पन्नों की इस रिपोर्ट में उन्हें दोषी नहीं ठहराया गया है। अनिल देशमुख ने बताया कि वह पिछले डेढ़ साल से इस रिपोर्ट को जनता के सामने लाने की मांग कर रहे हैं। उन्होंने भाजपा सरकार पर आरोप लगाया कि जानबूझकर इस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया जा रहा। उन्होंने इस रिपोर्ट को जनता के सामने लाने के लिए अदालत का रुख भी किया है। इसके अलावा, मुंबई हाई कोर्ट में भी उनके खिलाफ सात महीने तक मामला चला। अनिल देशमुख ने कहा कि हाई कोर्ट ने सभी दस्तावेजों और गवाहियों की जांच के बाद कहा कि उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं है और वह इस मामले में दोषी नहीं हैं।