
नागपुर. डॉ. बाबासाहब आंबेडकर द्वारा 25 दिसंबर 1927 को की गई मनुस्मृति दहन की ऐतिहासिक घटना को स्मरण करते हुए, आज नागपुर के इंदोरा चौक पर डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर सोशल फोरम के नेतृत्व में मनुस्मृति का दहन किया गया। यह कार्यक्रम महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री और उत्तर नागपुर के विधायक डॉ. नितिन राऊत के मार्गदर्शन में आयोजित किया गया।
कार्यक्रम का नेतृत्व सोशल फोरम के कार्याध्यक्ष और महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी अनुसूचित जाति विभाग के उपाध्यक्ष राजेश लाडे ने किया। इस अवसर पर लाडे ने कहा कि मनुस्मृति दहन का यह दिन स्त्री मुक्ति दिवस के रूप में मनाया जाता है। डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने देश की सभी जातियों की महिलाओं को समानता और गरिमा के साथ जीने का अधिकार दिलाया। मनुस्मृति के जलाए जाने के साथ महिलाओं के सशक्तिकरण का असल संघर्ष शुरू हुआ। इस अवसर पर अनिल नगराले ने कहा कि डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने मनुस्मृति जैसे ग्रंथ का दहन कर समाज को समानता और न्याय का मार्ग दिखाया। उन्होंने कहा कि यह वही ग्रंथ है जिसने छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक को भी नकार दिया था। इस ग्रंथ के जलाए जाने से समाज में नई चेतना का संचार हुआ।
कार्यक्रम में गोपाल राजवाड़े, प्रभाकर सोमकुवर, मनोज बंसोड़, रजनीगंधा वाघमारे, महेंद्र बोरकर, मुलचंद मेहर, नरेश खडसे, दीप गवंडे, कल्पना द्रोणकर, शारदा रामटेक, निलेश खोब्रागड़े, अभिजीत सांगोड़े, गौतम अंबाड़े, निशाद इंदूरकर, राजा नगराले, अनिल मेश्राम, संदीप मेश्राम, आशिफ शेख, सतीश पाली, चेतन तरारे और इंद्रपाल वाघमारे समेत बड़ी संख्या में नागरिक उपस्थित रहे।