
नागपुर. स्थित डॉ. आंबेडकर महाविद्यालय की 60 वर्षों की शैक्षणिक उत्कृष्टता की सराहना करते हुए डॉ. मिलिंद कांबले ने कहा कि किसी भी उद्योग को सफल बनाने के लिए ईमानदारी और निष्ठा का होना अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने यह भी बताया कि उद्योग शुरू करना जितना चुनौतीपूर्ण है, उतना ही अधिक चुनौती दलित और वंचित वर्ग के लिए होती है। इसका कारण यह है कि उनके पास आवश्यक संसाधनों की कमी होती है, जिसके कारण उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। फिर भी, कई दलित उद्यमियों ने इन चुनौतियों को अवसरों में बदलकर सफल उद्योग स्थापित किए हैं। दलितों को उद्योग शुरू करने के लिए वित्तीय साधनों की कमी, बाजार में प्रवेश, और सामाजिक पूंजी जैसी अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। हालांकि, कुछ सरकारी योजनाएं, चैंबर ऑफ कॉमर्स का सहयोग, एंजल इन्वेस्टर्स, वेंचर कैपिटल, और उच्च नेटवर्थ व्यक्तियों (HNI) के नेटवर्क से इन सभी चुनौतियों को अवसरों में बदला जा सकता है।पहले दलितों के लिए शुरुआती चरण में फंडिंग एक बड़ी समस्या हुआ करती थी, लेकिन अब सामाजिक न्याय मंत्रालय की योजनाओं और स्टार्टअप इंडिया जैसी योजनाओं की मदद से उद्योग शुरू करना आसान हो गया है। इसके साथ ही, MSME मंत्रालय की योजनाओं और गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस की सुविधा से बाजार में प्रवेश भी सुगम हो गया है। डॉ. कांबले ने जोर देकर कहा कि शैक्षणिक संस्थानों को दलितों को उद्योग शुरू करने के लिए अनुसंधान, तकनीकी और प्रबंधकीय सहायता प्रदान करनी चाहिए। पहले दलितों के पास नौकरी, राजनीति, या छोटे व्यवसाय ही करियर के विकल्प हुआ करते थे, लेकिन DICCI (डिक्की) के सहयोग से अब उद्यमिता का तीसरा विकल्प भी उपलब्ध है। DICCI ने भारत में दलितों के लिए एक अनुकूल इकोसिस्टम तैयार किया है, जिससे वे इस अवसर का पूरा लाभ उठा सकते हैं। धम्म चक्र प्रवर्तन दिवस के 68वें वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित “दलित युवाओं के समक्ष अवसर और चुनौतियाँ” विषय पर मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए डॉ. मिलिंद कांबले ने उपरोक्त विचार व्यक्त किए। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता स्मारक समिति के सदस्य डॉ. प्रदीप आगलावे ने की। महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. भुवनेश्वरी मेहेरे ने स्वागत भाषण दिया। इस व्याख्यान का संयोजन डॉ. अखिल रामटेके ने किया। इस अवसर पर स्मारक समिति के सदस्य श्री सुते और विलास गजघटे, वाणिज्य विभाग प्रमुख डॉ. पानबूढे, और महाविद्यालय के सभी प्राध्यापक व विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। अंत में, डॉ. राहुल कांबले ने आभार व्यक्त किया।