
पुणे – जेजुरी खंडोबा के पवित्र स्थल जेजुरी गढ़ पर पहुंचकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि जेजुरी गढ़ एक समाज जागरूकता का केंद्र है और इसके कारण ही धर्म की रक्षा संभव हो पाई है। यह स्थल देश की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
डॉ. भागवत ने जेजुरी स्थित श्री मार्तंड देव संस्थान का दौरा किया और श्री खंडोबा के दर्शन किए। इस अवसर पर श्री मार्तंड देव संस्थान के अध्यक्ष अनिल सौंदडे, विश्वस्त अभिजित देवकाते, राजेंद्र खेडेकर, मंगेश घोणे, अॅड. विश्वास पानसे, अॅड. पांडुरंग थोरवे, पोपट खोमणे, तहसिलदार विक्रम राजपूत और व्यवस्थापक आशिष बाठे उपस्थित थे। देव संस्थान और जेजुरी ग्रामवासियों की ओर से डॉ. भागवत को मानपत्र प्रदान किया गया। स्वागत भाषण मंगेश घोणे और अनिल सौंदडे ने दिया, जबकि मानपत्र का वाचन पोपट खोमणे ने किया। डॉ. भागवत ने इस दौरान देवता के तलवारी की कसरत देखी और भंडारा भी आयोजित किया।
इस मौके पर प्रमूख विश्वस्त सौंदडे ने बताया कि गढ़ पर जल्द ही एक नया भक्त निवास और गुरूकुल पद्धति का शिक्षण स्थापित किया जाएगा।
मानपत्र में उल्लेख किया गया कि देशभर में मंदिर, पानी और स्मशान जैसे विषयों पर समरसता का माहौल तैयार करने के लिए डॉ. मोहन भागवत अग्रसर कार्य कर रहे हैं। मानपत्र में उनके द्वारा कहा गया विचार भी शामिल था कि “जिन्हें ऊंचा उठना है, उन्हें थोड़ा झुकना पड़ेगा, और जिनका उद्देश्य ऊंचा उठना है, उन्हें अपनी टाँगों को ऊंचा करना होगा। तभी समानता और समरसता की स्थापना संभव होगी।”
डॉ. भागवत का स्वागत श्री खंडेराय की पगड़ी, घोंगड़े और भारतमाते की प्रतिमा से किया गया।
इस अवसर पर द्वादश मल्हार दर्शन सृष्टी के भूमिपूजन और कोनशिले के उद्घाटन की भी घोषणा की गई। यह योजना महाराष्ट्र और कर्नाटक में स्थित खंडोबा देवता के प्रमुख 12 स्थलों को एक ही स्थान पर दर्शाने के उद्देश्य से शुरू की जा रही है। यह पहल भाविकों को एकत्रित करने और उनकी धार्मिक यात्रा को सहज बनाने के लिए की जा रही है।
जेजुरी गढ़ का धार्मिक महत्व, उसके आध्यात्मिक और सांस्कृतिक योगदान को देखते हुए, डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि इस क्षेत्र ने परकीय आक्रमणों के दौरान भी अपने धार्मिक मूल्यों को सुरक्षित रखा और यह स्थल धर्म की जागरूकता का प्रतीक है।