
नागपुर. मराठी साहित्य में ऐसे ग्रंथों का सृजन होना चाहिए, जो पाठकों को वाद, प्रतिवाद और संवाद के लिए प्रेरित करें और जाति तथा वर्गवादी विचारधारा का विरोध करें। यह विचार वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. वि. स. जोग ने नागपुर ग्रंथोत्सव के उद्घाटन समारोह में व्यक्त किए। यह आयोजन ग्रंथालय संचालनालय, जिला ग्रंथालय अधिकारी कार्यालय और विदर्भ साहित्य संघ के संयुक्त तत्वावधान में विदर्भ साहित्य संघ के अमेय सभागार में संपन्न हुआ। उद्घाटन डॉ. वि. स. जोग के करकमलों द्वारा किया गया। इस अवसर पर वरिष्ठ कोषागार अधिकारी मोनाली भोयर, विदर्भ साहित्य संघ के अध्यक्ष प्रदीप दाते, कवि तीर्थराज कापगाते, प्रो. राजेंद्र मुंडे, राज्य ग्रंथालय संघ के अध्यक्ष डॉ. गजानन कोटेवार, राजाराम सिताराम दीक्षित वाचनालय की अध्यक्ष ऋतुजा गडकरी, जिला सूचना अधिकारी रितेश भुयार और जिला ग्रंथालय अधिकारी मिनाक्षी कांबले सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। अपने संबोधन में डॉ. जोग ने कहा कि साहित्य समाज का प्रतिबिंब होता है। लेखक को समाज की गतिविधियों से जुड़कर सक्रिय रहना चाहिए, क्योंकि मराठी साहित्य में कई प्रतिष्ठित लेखक सामाजिक आंदोलनों से निकले हैं। उन्होंने साने गुरुजी, विंदा करंदीकर, वसंत बापट जैसे लेखकों का उल्लेख करते हुए कहा कि हर मराठी घर में साने गुरुजी की ‘श्यामची आई’, स्वातंत्र्यवीर सावरकर की ‘माझी जन्मठेप’ और ‘भारतीय संविधान’ की प्रतियां अवश्य होनी चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि 2025 में साने गुरुजी की जन्मशताब्दी का रजत महोत्सव मनाया जाएगा। साने गुरुजी ने 85 ग्रंथों की रचना की, जिनमें एक भी आपत्तिजनक शब्द नहीं था। उनके अनूदित ग्रंथ ‘मोहम्मद पैगंबर का चरित्र’, ‘आपण सारे भाऊभाऊ’ और ‘दिल्ली डायरी’ का विशेष उल्लेख किया गया। डॉ. जोग ने प्रसिद्ध गायक मोहम्मद रफी की जन्मशताब्दी का स्मरण करते हुए साहिर लुधियानवी, शकील बदायुनी, हसरत जयपुरी और भरत व्यास की रचनाओं की चर्चा भी की। कार्यक्रम में मोनाली भोयर, प्रदीप दाते, तीर्थराज कापगाते, प्रो. राजेंद्र मुंडे, डॉ. गजानन कोटेवार, ऋतुजा गडकरी और रितेश भुयार ने भी अपने विचार रखे। मिनाक्षी कांबले ने स्वागत भाषण दिया और अर्चना गजलवार ने संचालन किया। इससे पहले, जिला परिषद की माध्यमिक शिक्षा अधिकारी रोहिणी कुंभार के हाथों सुबह 9 बजे सिताबर्डी क्षेत्र स्थित सेवा सदन शिक्षण संस्था में ग्रंथपूजन किया गया और उसके बाद ग्रंथदिंडी निकाली गई। ग्रंथोत्सव के पहले दिन ‘भारतीय संविधान के 75 वर्ष’ विषय पर परिसंवाद आयोजित हुआ। इसमें राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ. विकास जांभुलकर, ऑरेंज सिटी समाजकार्य महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. महेंद्र मेश्राम, विचारक रविंद्र पंढरीनाथ और सामाजिक कार्यकर्ता एडवोकेट अतुल सोनक ने भाग लिया। इसके बाद मंजुश्री डोंगरे ने ‘मी रमाई बोलतेय’ नामक एकल नाट्य प्रस्तुति दी। 12 मार्च को ग्रंथोत्सव के समापन अवसर पर एक परिसंवाद और एकल नाट्य प्रस्तुति होगी। पहले सत्र में ‘पाठकों के निर्माण में साहित्य और पुस्तकालय की भूमिका’ विषय पर परिसंवाद होगा, जिसमें विजय खंडाले, डॉ. राजेंद्र नाईकवाडे, जिला सूचना अधिकारी विनोद रापतवार और लेखक-पत्रकार नितिन नायगांवकर अपने विचार रखेंगे। दूसरे सत्र में पूजा पिंपळकर ‘व्हय, मी सावित्री बोलतेय’ नामक एकल नाट्य प्रस्तुति देंगी। समापन समारोह की अध्यक्षता वरिष्ठ कोषागार अधिकारी मोनाली भोयर करेंगी। धर्मदाय उपायुक्त किशोर मसने, विदर्भ साहित्य संघ के महासचिव विलास मानेकर, वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक विठ्ठलसिंह राजपूत, राजाराम सिताराम दीक्षित वाचनालय के कार्यवाह अनिल चनाखेकर, विदर्भ साहित्य संघ के पुस्तकालय संचालक प्रो. विवेक अलोनी और से. स. हा. कनिष्ठ महाविद्यालय के प्रधानाचार्य अजय चव्हाण भी कार्यक्रम में उपस्थित रहेंगे।