
नागपुर. 13 महीने के कठिन प्रशिक्षण के बाद, महाराष्ट्र के कोने-कोने से, शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों से चयनित फौजदारों ने अपने जीवन का महत्वपूर्ण मोड़ प्राप्त किया है। महाराष्ट्र लोक सेवा आयोग की कठिन परीक्षा पास कर यह युवा वर्ग अब पुलिस विभाग में अपनी जिम्मेदारी निभाने के लिए तैयार है। कुल 620 फौजदारों की सत्र क्रमांक 124 की टुकड़ी, जिन्होंने आंतरवर्ग और बाह्य वर्ग परीक्षा में सफलता प्राप्त की, का दीक्षांत समारोह 20 दिसंबर को महाराष्ट्र पुलिस अकादमी, नासिक में धूमधाम से आयोजित हुआ। इस परीक्षा का महत्व बेहद खास है क्योंकि परीक्षा में प्राप्त रैंकिंग पर उनके भविष्य के प्रमोशन निर्भर होते हैं। इस अवसर पर नागपुर शहर पुलिस आयुक्तालय में इस टुकड़ी के मेरिट अनुसार पहले 92 फौजदारों ने पुलिस आयुक्तालय में जॉइन किया है। इन फौजदारों का स्वागत और मार्गदर्शन करते हुए नागपुर शहर के पुलिस आयुक्त डॉ. रविंद्र कुमार सिंगल ने 26 दिसंबर 2024 को सुबह 11 बजे पुलिस भवन के कॉन्फ्रेंस हॉल में एक बैठक आयोजित की। बैठक का उद्देश्य नए फौजदारों का स्वागत करना और उन्हें अपनी जिम्मेदारी का अहसास कराना था। पुलिस आयुक्त ने अपने मार्गदर्शन में कहा कि, “फौजदार पुलिस स्टेशन का रीढ़ होते हैं। वरिष्ठ पुलिस निरीक्षकों के मार्गदर्शन में नागरिकों की शिकायतों का समाधान करना, निगरानी रखना, लोगों को मार्गदर्शन करना और जांच करना उनकी प्रमुख जिम्मेदारी है।” उन्होंने यह भी बताया कि, “नए फौजदारों को पुलिस आयुक्त ने ‘पालक’ की तरह मार्गदर्शन किया।” पुलिस आयुक्त ने नए फौजदारों के प्रशिक्षण की सराहना करते हुए यह भी उल्लेख किया कि उनकी बैच महाराष्ट्र की पहली बैच है जिसने भारतीय दंड संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम जैसे नए कानूनों का गहन अध्ययन किया है। इन कानूनों का सही इस्तेमाल पुलिस स्टेशन स्तर पर करना उनकी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। पुलिस आयुक्त ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि, “पुलिस स्टेशन में काम करते समय फील्ड वर्क को प्राथमिकता देनी चाहिए। वरिष्ठ अधिकारियों और सहकर्मियों के साथ अच्छे संवाद से काम करना चाहिए। हर जिम्मेदारी को एक अवसर के रूप में देखना चाहिए।” उन्होंने यह भी कहा कि, “नागपुर शहर में काम करने का एक अनूठा अवसर है, इसे सकारात्मक रूप से अपनाना चाहिए।” नागपुर शहर सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, और यहां काम करते समय फौजदारों को ईमानदारी, संवेदनशीलता और सहानुभूति से कार्य करना चाहिए। इसके अलावा, पुलिस आयुक्त ने वित्तीय नियोजन पर भी मार्गदर्शन किया और कहा कि जीवन के पहले चरण में वित्तीय अनुशासन से सेवानिवृत्ति तक आर्थिक स्थिरता बनी रहती है। नए फौजदारों के लिए साइबर क्राइम, फॉरेन्सिक साइंस, मकोका, एमपीडीए और उन्नत ‘सिंबा’ कार्यप्रणाली पर तीन दिवसीय विशेष ओरिएंटेशन प्रोग्राम आयोजित करने के निर्देश भी पुलिस आयुक्त ने दिए। पुलिस आयुक्त ने फौजदारों को अनुशासन और जिम्मेदारी की महत्ता को समझाया और यह भी बताया कि सोशल मीडिया पर कोई भी गलती तुरंत फैल सकती है, जिसका पुलिस बल की छवि पर विपरीत असर हो सकता है। इसलिए, हर फौजदार को अनुशासन और कड़ी कार्यशैली अपनानी चाहिए। पुलिस आयुक्त ने सभी फौजदारों को उनके शौक, खेल और फिटनेस पर ध्यान देने की सलाह दी क्योंकि शौक और शारीरिक फिटनेस मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाते हैं, जो काम पर सकारात्मक असर डालता है। बैठक के दौरान पुलिस आयुक्त ने यह भी निर्देश दिए कि प्रत्येक फौजदार का बायोडेटा, विशेष कौशल, शिक्षा, शौक, खेल और अन्य विशेषताएँ संबंधित अधिकारियों से दर्ज कराई जाएं। अंत में, पुलिस आयुक्त ने सभी नए फौजदारों को उनके परिविक्षाधीन काल को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए शुभकामनाएँ दीं। अपर पुलिस आयुक्त संजय पाटील (गुन्हे) और पुलिस उपायुक्त श्रीमती श्वेता खेडकर ने भी फौजदारों को मार्गदर्शन प्रदान किया। बैठक के बाद नए फौजदारों ने बताया कि यह बैठक उनके लिए केवल स्वागत नहीं, बल्कि एक प्रेरणादायक कदम थी। पुलिस आयुक्त द्वारा दिखाए गए विश्वास और उनके उपदेशों को वे हमेशा याद रखेंगे और अपने कार्यकाल के दौरान इनका पालन करेंगे।