‘प्राकृतिक खेती’ पुस्तक का विमोचन

नागपुर. पुरखों से विरासत में मिली उपजाऊ खेती में यूरिया, डीएपी, कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग से खेती बंजर हो गई है और बीमारियों का प्रकोप बढ़ गया हैं। यदि कृषि को फिर से उपजाऊ बनाना है और कम लागत में अधिक उत्पादन, अधिक लाभ प्राप्त करना हैं और बीमारियों से दूर रहना हैं, तो किसानों को प्राकृतिक खेती की ओर रुख करना चाहिए, गुजरात के राज्यपाल माननीय आचार्य देवव्रत ने आवाहन किया।
एग्रोविजन फाउंडेशन द्वारा आचार्य देवव्रत द्वारा लिखित हिंदी पुस्तक ‘प्राकृतिक खेती’ के मराठी संस्‍करण का विमोचन समारोह रविवार को डॉ. वसंतराव देशपांडे हॉल में आयोजित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने की जबकि डाॅ. पंजाबराव देशमुख कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ. डॉ. शरद गडाख, महाराष्ट्र पशु एवं मत्स्य पालन विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. नितिन पाटिल, डॉ. सी. के. टिंबडिया, एग्रोविजन फाउंडेशन के अध्यक्ष रवि बोरटकर, कोषाध्यक्ष रमेश मानकर, सुधीर दिवे, शिरीष भगत, आनंद राऊत उपस्थित थे। इस अवसर पर एग्रोविजन कृषक प्रशिक्षण केंद्र का भूमिपूजन गणमान्य अतिथियों द्वारा किया गया तथा ‘प्राकृतिक खेती’ पुस्तक के मराठी अनुवादक नितिन नायगांवकर एवं संपादकीय मार्गदर्शक शैलेश पांडे का सत्‍कार किया गया। आचार्य देवव्रत ने आग्रह किया कि रासायनिक खेती किसानों पर थोपी गई एक साजिश है और कृषि शोधकर्ताओं को यह साबित करना चाहिए कि यूरिया, डीएपी जैसे रसायनों से कृषि लागत में कोई वृद्धि नहीं होती है और मिट्टी में कार्बनिक कार्बन की मात्रा में कोई कमी नहीं आती है। आचार्य देवव्रत ने अपने विभिन्न प्रयोगों के आधार पर जैविक खेती और प्राकृतिक खेती के बीच अंतर बताते हुए कहा कि देशी गाय के गोबर और गोमूत्र के उपयोग से मिट्टी की उर्वरता में सुधार होता है, वह उपजाऊ बनती है और बेहतर फसल पैदा करने लगती है। आचार्य देवव्रत ने नितिन गडकरी के एग्रोविजन, प्रशिक्षण केंद्र और कृषि क्षेत्र में अन्य कार्यों की सराहना करते हुए कहा, नितिन गडकरी एक ‘दूरदर्शी’ नेता हैं और जो कहते हैं वह करते हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने परिचित रास्तों पर चलने के बजाय एक नया रास्ता खोजा है और किसानों को आत्मनिर्भर बनाने का बीड़ा उठाया है। कार्यक्रम की शुरुआत में रवि बोरटकर ने स्‍वागत भाषण किया । मंच संचालन आसावरी गलांडे-देशपांडे ने किया जबकि धन्यवाद प्रदर्शन रमेश मानकर द्वारा किया गया.

किसानों के लिए बाजार स्थापित करेंगे: गडकरी
एग्रोविजन द्वारा बनाए जा रहे किसान प्रशिक्षण केंद्र में प्रशिक्षण के साथ-साथ मिट्टी व पानी के परीक्षण की भी व्यवस्था की जाएगी। नितिन गडकरी ने बताया कि प्राकृतिक खेती से उत्पादित उत्पादों, फलों को सीधे उपभोक्ताओं को बेचने के लिए एक बड़ा बाजार स्थापित किया जाएगा और इसका सीधा लाभ किसानों को मिलेगा। इसके अलावा उन्होंने यह भी घोषणा की कि देश का पहला एग्रो कन्वेंशन सेंटर डॉ. पंजाबराव कृषि विश्वविद्यालय के कैम्‍पस में स्थापित किया जाएगा। अच्छी बीज और पौधों की नर्सरी, किसानों को नई प्रौद्योगिकियों में प्रशिक्षण देना, प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करना, नदियों और नहरों को गहरा और चौड़ा करना, ऐसे उपायों से खेती की लागत कम होगी, उत्पादन बढ़ेगा, कर्ज मुक्त होंगे और आत्महत्याएं रुकेंगी ऐसा आशावाद उन्होंने व्‍यक्‍त किया । आचार्य देवव्रत द्वारा लिखित पुस्तक ‘प्राकृतिक खेती’ को सभी छोटे-बड़े किसानों तक पहुंचाने की भी अपील उन्‍होंने की।

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