
नागपुर. भाषा हमारी सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है और यह न केवल अभिव्यक्ति का माध्यम है बल्कि भारत को विकसित राष्ट्र बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह विचार जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू), दिल्ली के भारतीय भाषा केंद्र के प्रमुख डॉ. सुधीर प्रताप सिंह ने व्यक्त किए। वे राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा आयोजित विशेष व्याख्यान में मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे। ‘विकसित भारत @2024 : भारतीय भाषाओं की भूमिका’ विषय पर आयोजित इस व्याख्यान का आयोजन बुधवार, 27 नवंबर 2024 को हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता हिंदी विभाग के प्रमुख डॉ. मनोज पांडे ने की। विशेष अतिथि के रूप में सहयोगी प्राध्यापक डॉ. संतोष गिरहे भी उपस्थित थे। डॉ. सुधीर प्रताप सिंह ने कहा कि भारत की सभी भाषाओं और बोलियों के मूल में भारतीयता की भावना निहित है। भाषा ज्ञान, अनुभव और संवेदना का आधार है। भाषाओं के बिना ज्ञान का कोई भी मापदंड पूरा नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि भारतीय भाषाओं को संरक्षित और संवर्धित करना राष्ट्रीय एकता के लिए अत्यंत आवश्यक है। हिंदी विभाग प्रमुख डॉ. मनोज पांडे ने अपने वक्तव्य में बताया कि आज कई भारतीय भाषाएं विलुप्त हो रही हैं। उन्होंने कहा कि भाषाओं के संरक्षण से ही भारतीयता की भावना को बनाए रखा जा सकता है। भाषाएं हमारी पहचान का प्रतीक हैं, लेकिन वे हमारी सीमाएं नहीं हैं। कार्यक्रम के अंत में सहयोगी प्राध्यापक डॉ. संतोष गिरहे ने भारतीय भाषाओं के संरक्षण और संवर्धन के लिए मातृभाषा में शिक्षा देने की आवश्यकता पर जोर दिया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. लखेश्वर चंद्रवंशी ने किया और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. संतोष गिरहे ने किया। इस अवसर पर डॉ. सुमित सिंह, डॉ. एकादशी जैतवार, डॉ. कुंजन लिल्हारे, प्रा. जागृति सिंह, प्रा. दामोदर द्विवेदी, प्रा. विनय उपाध्याय सहित शोधकर्ता और विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।