महाराष्ट्र के किसानों ने जैव प्रौद्योगिकी अपनाने की मांग की, कपास उत्पादन बढ़ाने पर दिया जोर

नागपुर.  महाराष्ट्र के प्रगतिशील किसानों ने जैव प्रौद्योगिकी और आधुनिक कृषि तकनीकों तक पहुंच की मांग की है, जिससे वे वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकें। राष्ट्रीय किसान सशक्तिकरण पहल (NFEI) द्वारा आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में किसानों ने कहा कि भारत में कृषि क्षेत्र को भी अन्य उद्योगों की तरह नवीनतम वैज्ञानिक नवाचारों का लाभ मिलना चाहिए। किसानों ने जेनेटिकली मोडिफाइड (GM) फसलों तक पहुंच की मांग करते हुए कहा कि ये तकनीकें न केवल उत्पादकता बढ़ाने में मदद करेंगी, बल्कि जलवायु परिवर्तन और कीटों से होने वाले नुकसान को भी कम करेंगी। उन्होंने इस बात को खारिज किया कि GM फसलें रसायनों के अधिक उपयोग का कारण बनती हैं, और उदाहरण के रूप में अमेरिका, ब्राजील और अर्जेंटीना जैसे देशों का हवाला दिया, जहां GM फसलों के कारण कृषि अधिक टिकाऊ बनी है। किसानों ने विशेष रूप से कपास की खेती में नई बीटी (Bt) किस्मों को शामिल करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने महाराष्ट्र टेक्निकल टेक्सटाइल मिशन (MTTM) की सराहना करते हुए कहा कि यह पहल राज्य के 30-40 लाख कपास किसानों के लिए फायदेमंद साबित होगी। लेकिन हाल के वर्षों में गुलाबी सुंडी और जलवायु परिवर्तन के कारण कपास की उत्पादकता प्रभावित हुई है, जिससे नई तकनीकों की आवश्यकता बढ़ गई है। “Bt कपास ने हमारी उपज को बनाए रखने में मदद की है, लेकिन कीट लगातार विकसित हो रहे हैं। हमें नई कृषि चुनौतियों से निपटने के लिए उन्नत तकनीकों की जरूरत है। अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और ब्राजील पहले ही हर्बीसाइड-टॉलरेंट बीटी (HTBt) कपास अपना चुके हैं, भारतीय किसानों को भी यह अवसर मिलना चाहिए।” यवतमाल के किसान नेमराज राजुरकर ने कहा कि भारत में Bt कपास ने खेती में क्रांति ला दी थी, लेकिन अन्य फसलों में इस तरह की प्रगति को रोक दिया गया। उन्होंने कहा, “Bt कपास ने कीटनाशकों के उपयोग को कम किया और उत्पादन बढ़ाया। लेकिन बैंगन, तरबूज और सोयाबीन जैसी फसलों में GM तकनीकों को अब भी रोका जा रहा है। किसान वैज्ञानिक नवाचारों को अपनाने के लिए तैयार हैं, लेकिन वे गलत सूचनाओं और राजनीतिक देरी में फंसे हुए हैं।” यवतमाल के एक अन्य किसान प्रकाश पुप्पलवार ने कहा कि भारतीय किसान आत्मविश्वासी और महत्वाकांक्षी हैं और वे वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा, “अगर भारत को ‘विकसित कृषि से विकसित भारत’ बनाना है, तो हमें जैव प्रौद्योगिकी को अपनाना होगा। इससे उत्पादकता बढ़ेगी, जलवायु परिवर्तन के प्रति सहनशीलता बढ़ेगी और भारतीय कृषि वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए तैयार होगी।” किसानों ने नीति-निर्माताओं से आग्रह किया कि वे सीधे किसानों से संवाद करें और उनकी वास्तविक चुनौतियों को समझें। उन्होंने कहा कि बाहरी दबाव समूहों के प्रभाव में आकर कृषि नीति नहीं बनाई जानी चाहिए। किसानों की मांग स्पष्ट है—उन्हें कृषि में वैज्ञानिक नवाचारों को अपनाने का अधिकार मिले, जिससे वे वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकें और अपनी उपज व आय में वृद्धि कर सकें। भारतीय कृषि को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने के लिए किसानों ने नई कृषि तकनीकों तक आसान पहुंच की मांग की।

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