
नागपुर. देश में महिलाओं के खिलाफ बढ़ती दुर्व्यवहार और अमानवीय अपराधों की घटनाओं पर चिंता जताते हुए राष्ट्र सेविका समिति की प्रमुख संचालिका वी. शांताकुमारी ने कहा कि इस समस्या का समाधान व्यक्तिगत और सामाजिक स्तर पर प्रयासों से ही संभव है। उन्होंने कड़े कानून और त्वरित न्यायिक प्रक्रिया के साथ समाज में जागरूकता फैलाने की आवश्यकता पर जोर दिया। ये विचार उन्होंने रेशीमबाग स्मृति मंदिर परिसर में आयोजित समिति के विजयादशमी उत्सव के दौरान व्यक्त किए। इस अवसर पर सुप्रसिद्ध शास्त्रीय नृत्यांगना पद्मविभूषण सोनल मानसिंग, प्रमुख कार्यवाहिका अन्नदानम् सीता और विदर्भ प्रांत कार्यवाहिका मनीषा आठवले मंच पर उपस्थित थीं। वी. शांताकुमारी ने पश्चिम बंगाल में एक महिला डॉक्टर के साथ हुई घटना को अमानवीय करार दिया और कहा कि ऐसी घटनाओं में त्वरित कार्यवाही के लिए कानून में बदलाव आवश्यक है। उन्होंने कहा कि आपराधिक घटनाओं में अगर 30 वर्षों के बाद भी अपराधी को सजा नहीं मिलती, तो उसकी अपराधवृत्ति बढ़ जाती है। साथ ही उन्होंने महिलाओं को आत्मसुरक्षा के लिए सशक्त बनने और आत्मसुरक्षा के तंत्र सीखने की व्यवस्था की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि महिलाओं के प्रति आदरभाव का दृष्टिकोण युवकों में शिक्षा के माध्यम से विकसित किया जाना चाहिए। वी. शान्ताकुमारीजी ने लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर के 300वें जन्म वर्ष का उल्लेख करते हुए बताया कि उन्होंने विधवा महिलाओं की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए कानून में परिवर्तन किया था, जिससे उनकी आर्थिक दशा में सुधार आया। सोनल मानसिंह ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि महिलाओं की शक्ति देश की संरचना का आधार है। उन्होंने लोपामुद्रा, गार्गी, और कात्यायनी जैसी प्राचीन महिलाओं से लेकर मंगल अभियान को सफल बनाने वाली भारतीय महिलाओं का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि हर महिला को अपने अंदर की शक्ति को पहचानने की आवश्यकता है ताकि वे अपनी राह को आसान बना सकें। कार्यक्रम के प्रारंभ में समिति की स्वयंसेविकाओं ने घोष का प्रदर्शन किया। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचारक भैय्याजी जोशी, रामदत्त, किरण चोपड़ा, उर्वशी मिश्रा, बबिता सैनी, मंजिरी फडके, और रीना सिन्हा समेत कई अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।