
नागपुर. महाराष्ट्र में बीजेपी नेता मुन्ना यादव की बढ़ती गुंडगिरी पर सवाल उठ रहे हैं। यादव ने हाल ही में पुलिस के कामकाज पर सवाल उठाया, जबकि उनके बेटों करण और अर्जुन ने अपने चचेरे भाई पर हमला किया। इस घटना के बाद धंतोली पुलिस स्टेशन में मुन्ना यादव ने बवाल काटा। उनके खिलाफ जरीपटका, बजाज नगर, पाचपावली, धंतोली और सीताबर्डी में 10 से 12 आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिसमें एक गंभीर मामला आईपीसी की धारा 307 के तहत है। यादव के बेटों के खिलाफ भी कई मामले दर्ज हैं। ऐसे में पुलिस पर दबाव बनाने के लिए मुन्ना यादव और उनके समर्थक अक्सर पुलिस अधिकारियों से उलझते हैं। इससे पुलिस अधिकारियों का मानसिक खौफ बढ़ता जा रहा है। इस पूरे मामले में गृह मंत्री देवेंद्र फडणवीस की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि उन्होंने पिछले घटनाक्रमों पर चुप्पी साधी है। महिलाओं और आम नागरिकों की सुरक्षा में कमी के लिए पुलिस अधिकारियों को ही जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। नागपुर शहर को “क्राइम कैपिटल” की उपाधि मिल चुकी है, जहां महिला अत्याचार और हत्याओं की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। इन सबके बीच, फडणवीस के करीबी विधायक प्रवीण दटके पुलिस पर दबाव डालते नजर आ रहे हैं। मुन्ना यादव ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पुलिस पर आरोप लगाया कि शहर में मादक पदार्थों (जैसे एमडी और गांजा) की बिक्री हो रही है, और पुलिस इस पर कार्रवाई करने में असफल है। यह गृहमंत्री फडणवीस के लिए एक गंभीर चेतावनी है। सभी आरोपों और घटनाओं को देखते हुए, यह स्पष्ट है कि पुलिस के साथ बीजेपी नेताओं का यह बर्ताव अस्वीकार्य है। अनिल देशमुख जैसे पूर्व गृहमंत्री ने अपने ऊपर लगे आरोपों की निष्पक्ष जांच के लिए तुरंत इस्तीफा दिया था। अब, फडणवीस को चाहिए कि वह अपनी जिम्मेदारी लें और इस्तीफा देकर पुलिस अधिकारियों से माफी मांगें। इसके अलावा, फडणवीस को चांदीवाल आयोग की रिपोर्ट को सार्वजनिक करना चाहिए, ताकि सच सामने आ सके और जनता को पूरी जानकारी मिल सके।