नागपुर. राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय में आयोजित सातवीं राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा कार्यशाला के उद्घाटन समारोह में प्र-कुलगुरु डॉ. राजेंद्र काकडे ने कहा कि “शोध राष्ट्रीय संपत्ति है, और इसका संरक्षण आवश्यक है।” इस कार्यशाला का आयोजन विश्वविद्यालय के शोध एवं विकास कक्ष (RDC), स्नातकोत्तर विधि अध्ययन विभाग, आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन कक्ष (IQAC) और बौद्धिक संपदा अधिकार कक्ष (IPR) के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। यह कार्यशाला श्रीनिवास रामानुजन सभागार में 10 फरवरी 2025 को आयोजित की गई। डॉ. काकडे ने उद्घाटन भाषण में कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा अत्यंत प्राचीन है, लेकिन हम अपने ज्ञान को संरक्षित करने में असफल रहे हैं। उन्होंने कहा कि शोध को व्यावसायिक दृष्टि से संरक्षित किया जाए तो यह राष्ट्र के आर्थिक विकास में योगदान दे सकता है। उन्होंने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) का उल्लेख करते हुए कहा कि इसमें नवाचार और अनुसंधान को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया है, जिससे विद्यार्थियों को भी क्रेडिट प्राप्त होंगे। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्र-कुलगुरु डॉ. राजेंद्र काकडे ने की, जबकि प्रमुख वक्ता के रूप में RGNIIPM नागपुर के पेटेंट एवं डिज़ाइन सहनियंत्रक निर्माल्य सिन्हा, विश्वविद्यालय की IQAC निदेशक डॉ. स्मिता आचार्य और स्नातकोत्तर विधि विभाग की प्रमुख डॉ. पायल ठावरे उपस्थित रहीं। निर्माल्य सिन्हा ने भारत में बौद्धिक संपदा अधिकारों की कानूनी प्रक्रिया पर विस्तृत जानकारी दी और पेटेंट व औद्योगिक डिज़ाइन के प्रभावी उपयोग पर जोर दिया। उन्होंने छात्रों को पेटेंट दाखिल करने और औद्योगिक डिजाइनों को सुरक्षित करने की प्रक्रिया से अवगत कराया। डॉ. पायल ठावरे ने बताया कि स्नातकोत्तर विधि विभाग पिछले सात वर्षों से राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा कार्यशाला का आयोजन कर रहा है। इसका उद्देश्य छात्रों को बौद्धिक संपदा संरक्षण का व्यावहारिक ज्ञान प्रदान करना है। कार्यशाला का समन्वयन आबिद खान और अनुश्री मुक्ते ने किया। उद्घाटन समारोह का संचालन शिखा गुप्ता ने किया और आभार प्रदर्शन डॉ. विजयता उईके ने किया।
केदारनाथ धाम में उमड़ा आस्था का सैलाब, एक ही दिन में 30 हज़ार से ज्यादा भक्तों ने किए दर्शन
“Latest news and updates on politics, sports, entertainment, technology, and more. Stay informed with breaking news and in-depth articles.”