
नागपुर. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (क्षेत्र संकार्य प्रभाग) के नागपुर क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा केंद्रीय सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के अंतर्गत एनएसएस (NSS) 80वें दौर और पीएलएफएस (PLFS) सर्वेक्षण पर आधारित तीन दिवसीय प्रादेशिक प्रशिक्षण शिविर 26 से 28 दिसंबर के बीच नागपुर के भारतीय खनन ब्यूरो, इंदिरा भवन, सिविल लाइन्स स्थित कॉन्फ्रेंस हॉल में आयोजित किया गया। शिविर का उद्घाटन नागपुर क्षेत्रीय कार्यालय के उपमहानिदेशक श्रीनिवास उप्पला ने किया। उन्होंने उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों और प्रशिक्षणार्थियों का स्वागत करते हुए कहा कि यह कार्यक्रम सांख्यिकी अधिकारियों को सटीक और गुणवत्तापूर्ण डेटा संग्रहण के लिए व्यावहारिक और बौद्धिक प्रशिक्षण प्रदान करने के उद्देश्य से आयोजित किया गया है। अपने उद्घाटन भाषण में उन्होंने एनएसएस सर्वेक्षण के महत्व को रेखांकित किया। श्रीनिवास उप्पला ने बताया कि राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय, केंद्रीय सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय, भारत के नीति-निर्माण के लिए आधारभूत आंकड़े उपलब्ध कराता है। 1950 के दशक से एनएसएस भारत की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को समझने का एक सशक्त माध्यम रहा है। एनएसएस का 80वां दौर इस परंपरा को आगे बढ़ाते हुए, समाज और अर्थव्यवस्था की महत्वपूर्ण आवश्यकताओं पर ध्यान केंद्रित करेगा और नीति-निर्माण में सहायता प्रदान करेगा।
उन्होंने एनएसएस के चार प्रमुख पहलुओं पर जोर दिया:
1. डेटा की सटीकता और विश्वसनीयता।
2. सर्वेक्षण में जनता की भागीदारी और जागरूकता बढ़ाने का महत्व।
3. आधुनिक तकनीकों का उपयोग, जैसे टैबलेट के जरिए कंप्यूटर-सहायित व्यक्तिगत साक्षात्कार (CAPI), जिससे डेटा संग्रहण अधिक सटीक और पारदर्शी बनेगा।
4. सर्वेक्षण की सफलता के लिए सभी संबंधित पक्षों के समन्वित प्रयास।
कार्यक्रम के दौरान, क्षेत्रीय कार्यालय नागपुर के सह-निदेशक रंगा श्रीनिवासुलु ने एनएसएस 80वें दौर के तहत सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण और पीएलएफएस की विभिन्न विशेषताओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य और दूरसंचार (CMS-T) से संबंधित ये सर्वेक्षण न केवल डेटा संग्रहण के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि यह भी दर्शाते हैं कि देश के नागरिकों की स्थिति क्या है और किन क्षेत्रों में सुधार की आवश्यकता है। इस अवसर पर डीईएस नागपुर के संयुक्त निदेशक टी. एस. तिडके ने एसडीजी इंडिया इंडेक्स के संदर्भ में डेटा सटीकता की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सटीक आंकड़ों से न केवल नीतियों में सुधार होता है, बल्कि महाराष्ट्र जैसे राज्यों की रैंकिंग भी बेहतर हो सकती है।इस तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में विभिन्न गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया, जिनमें श्रीमती संध्या गवई, ए. जी. वागडे, एस. ए. वैरागडे, अनुप भडांगे, अनिशुल मलिक, और सुशील मोहन शामिल थे। कार्यक्रम का संचालन सुशील मोहन ने किया और समापन आभार प्रदर्शन के साथ हुआ।