
Desk News. तेजी से बदलती जीवनशैली और डिजिटल दौर में अब लोग पारंपरिक 9-5 की नौकरी से आगे सोचने लगे हैं। महामारी के बाद से लोगों की प्राथमिकताएं बदली हैं और वर्क-लाइफ बैलेंस (Work-Life Balance) को लेकर एक नया ट्रेंड देखने को मिल रहा है। एक हालिया सर्वे के अनुसार, 65% युवा अब ऐसी नौकरियों को प्राथमिकता दे रहे हैं जो उन्हें लचीले काम के घंटे और वर्क फ्रॉम होम की सुविधा देती हैं। इसके साथ ही लोग मानसिक स्वास्थ्य, योग, मेडिटेशन और ट्रैवल को भी अपने जीवन का अहम हिस्सा बना रहे हैं।
काम के साथ जिंदगी भी जरूरी:
दिल्ली की 28 वर्षीय डिजिटल मार्केटिंग प्रोफेशनल साक्षी कहती हैं, “पहले मैं पूरे दिन काम में डूबी रहती थी, लेकिन अब मैंने अपने लिए समय निकालना शुरू किया है। योग, सुबह की सैर और वीकेंड ट्रैवल ने मेरी जिंदगी को पॉजिटिव बना दिया है।”
कॉर्पोरेट भी समझ रहे हैं ज़रूरत:
कई बड़ी कंपनियों ने भी अब अपने कर्मचारियों को वेलनेस डे, मेंटल हेल्थ ब्रेक और फ्लेक्सिबल शेड्यूल देना शुरू कर दिया है। इससे कर्मचारी न केवल खुश हैं बल्कि उनकी उत्पादकता (Productivity) भी बढ़ी है।
डिजिटल डिटॉक्स का बढ़ता चलन:
सोशल मीडिया की अधिकता से थके लोग अब “डिजिटल डिटॉक्स” को अपनाने लगे हैं। सप्ताह में एक दिन बिना फोन या स्क्रीन के बिताना अब एक लोकप्रिय आदत बनती जा रही है।
क्या कहती हैं विशेषज्ञ:
मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. नीता शर्मा के अनुसार, “एक स्वस्थ जीवनशैली के लिए केवल व्यायाम और भोजन ही नहीं, बल्कि भावनात्मक संतुलन और समय प्रबंधन भी जरूरी है। वर्क-लाइफ बैलेंस इसी दिशा में एक सकारात्मक कदम है।”