नागपुर. महिला अत्याचार के खिलाफ महाविकास आघाड़ी सरकार ने शक्ति कानून लाने की पहल की थी, लेकिन राष्ट्रपति की स्वीकृति न मिलने के कारण यह विधेयक वापस लिया जा रहा है। यह महायुती सरकार की विफलता है। राज्य में बढ़ते महिला अत्याचार के बीच इस कानून की सख्त जरूरत थी। ऐसे में राष्ट्रपति की स्वीकृति क्यों नहीं मिली? सरकार का यह रवैया निंदनीय है। इसलिए आगामी विधानसभा सत्र में शक्ति विधेयक को आवश्यक संशोधनों के साथ दोबारा लाकर राष्ट्रपति को मंजूरी के लिए भेजा जाना चाहिए। यह मांग विधि मंडल के नेता विजय वडेट्टीवार ने की। उन्होंने महायुती सरकार के मंत्रियों पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि जब एक ओर राज्य में महिलाओं पर अत्याचार की घटनाएं बढ़ रही हैं, तब सरकार के मंत्री असंवेदनशील बयान दे रहे हैं। गृह राज्य मंत्री योगेश कदम और मंत्री सावकारे के बयान क्या आरोपी को बचाने के लिए दिए गए हैं? यह सवाल उठाते हुए वडेट्टीवार ने कहा कि जब किसी महिला पर अत्याचार होता है, तो उसके चरित्र पर सवाल उठाना आरोपी का बचाव करने जैसा है। क्या मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री भी अपने मंत्रियों के इन बयानों से सहमत हैं? मंत्रियों को बोलते समय कम से कम थोड़ी शर्म रखनी चाहिए। सरपंच संतोष देशमुख हत्याकांड के मुख्य आरोपी वाल्मिक कराड को जेल में वीआईपी ट्रीटमेंट दिए जाने के आरोप लग रहे हैं। कराड मंत्री धनंजय मुंडे के करीबी माने जाते हैं। वडेट्टीवार ने कहा कि चूंकि धनंजय मुंडे खुद मंत्री हैं, इसलिए हो सकता है कि उन्होंने ही कराड को जेल में किसी तरह की परेशानी न हो, इसके लिए आदेश दिए हों। इसी वजह से उनके इस्तीफे की मांग की जा रही है। उन्होंने आगे कहा कि यह सरकार बनने के बाद से ही जनता इसके कामकाज पर नजर रख रही है। मुख्यमंत्री राज्य के हालात की समीक्षा करने के बजाय 100 दिन पूरे होने का आकलन कर रहे हैं। पालक मंत्री पद को लेकर विवाद जारी है, कानून-व्यवस्था बिगड़ रही है और सरकार के मंत्री खुद विवादित बयान दे रहे हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री को बढ़ते महिला अत्याचार की घटनाओं का संज्ञान लेना चाहिए।
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