
Desk News/नागपुर. भारत की विविधता में एकता का प्रतीक, सनातन धर्म, हजारों वर्षों से अपने अनुयायियों को नैतिकता, संस्कृति और आध्यात्मिकता की एक गहरी समझ प्रदान करता आया है। हालिया घटनाक्रम, विशेष रूप से तिरुपति मंदिर में मिलने वाले लड्डू में पशुओं की चर्बी के इस्तेमाल का मामला, इस धर्म की पवित्रता और अनुष्ठानों को लेकर गंभीर सवाल उठाता है। इस संदर्भ में, ‘सनातन धर्म रक्षण बोर्ड’ का गठन एक आवश्यक कदम प्रतीत होता है। एक बोर्ड का गठन इस दिशा में महत्वपूर्ण होगा ताकि धार्मिक स्थलों की पवित्रता और अनुष्ठानों की सही परंपरा को सुरक्षित रखा जा सके। भक्तों की भावनाओं का सम्मान करना आवश्यक है, और यह बोर्ड सुनिश्चित कर सकता है कि किसी भी प्रकार का अनाचार या गलत जानकारी धार्मिक स्थलों को प्रभावित न करे।’सनातन धर्म रक्षण बोर्ड’ का गठन न केवल धार्मिक स्थलों की सुरक्षा के लिए आवश्यक है, बल्कि यह समाज में सामंजस्य स्थापित करने में भी मदद कर सकता है। जब लोग देखेंगे कि उनके धार्मिक अधिकारों का संरक्षण हो रहा है, तो यह समाज में एकता और शांति को बढ़ावा देगा। धार्मिक मुद्दों पर संवाद की आवश्यकता है, और इस बोर्ड के माध्यम से विभिन्न समुदायों के बीच संवाद को बढ़ावा दिया जा सकता है। राजनीतिक दृष्टि से, एक ऐसा बोर्ड राजनीतिक दलों को भी एकजुट कर सकता है। जब सभी दल एक साझा मंच पर आएंगे, तो यह धार्मिक मुद्दों पर अधिक जिम्मेदारी और संवेदनशीलता के साथ काम करने के लिए प्रेरित करेगा। इस तरह, राजनीतिक लाभ के बजाय धार्मिक और सामाजिक हितों को प्राथमिकता दी जा सकेगी। बोर्ड का कार्य केवल धार्मिक स्थलों की सुरक्षा तक सीमित नहीं होगा। यह विभिन्न मुद्दों, जैसे भूमि विवाद, धार्मिक प्रथाओं के संरक्षण, और मंदिरों के अपमान के खिलाफ भी सक्रिय रूप से काम करेगा। इस तरह, यह बोर्ड न केवल वर्तमान समस्याओं का समाधान करेगा, बल्कि भविष्य में उत्पन्न होने वाले धार्मिक मुद्दों के प्रति भी जागरूकता बढ़ाएगा। ‘सनातन धर्म रक्षण बोर्ड’ का गठन केवल एक धार्मिक आवश्यकता नहीं, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक स्थिरता का एक महत्वपूर्ण पहलू है। यह न केवल धर्म की पवित्रता की रक्षा करेगा, बल्कि समाज में समरसता और भाईचारे को भी बढ़ावा देगा। इस प्रकार, यह बोर्ड सभी के लिए एक सकारात्मक बदलाव का प्रतीक बन सकता है, जिससे हिंदू धर्म की सही परंपरा को संरक्षित किया जा सके। विश्व प्रसिद्ध तिरुपति मंदिर में मिलने वाले लड्डू में पशुओं की चर्बी के इस्तेमाल किए जाने के मामले पर लगातार सियासी बयानबाजी हो रही है। सीएम चंद्रबाबू नायडू ने कहा है कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। वहीं, आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री पवन ने राष्ट्रीय स्तर पर सनातन धर्म रक्षण बोर्ड के गठन करने की मांग की है। पवन कल्याण ने एक्स पर पोस्ट किया,”तिरुपति बालाजी प्रसाद में पशु वसा (मछली का तेल, सूअर की चर्बी और भैंसे की चर्बी) मिलाए जाने के निष्कर्षों से हम सभी बहुत परेशान हैं।” पवन कल्याण ने कहा, “शायद पूरे भारत में मंदिरों से संबंधित सभी मुद्दों को देखने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर ‘सनातन धर्म रक्षण बोर्ड’ का गठन करने का समय आ गया है।”उन्होंने जोर देकर कहा कि मंदिरों के अपमान, भूमि विवाद और अन्य धार्मिक प्रथाओं से जुड़े मसलों पर अब राष्ट्रीय बहस की जरूरत है। यह मामला अब तेजी से राजनीतिक और धार्मिक चर्चा का केंद्र बनता जा रहा है, और पूरे देश में इसके खिलाफ आवाज उठ रही है। पवन कल्याण के इस बयान के बाद यह स्पष्ट है कि सरकार इस मुद्दे को हल्के में नहीं लेगी और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। प्रसिद्ध कथा वाचक बाबा बागेश्वर ने एक बार फिर सनातन हिंदू बोर्ड बनाने की मांग की है. उन्होंने कहा कि जिस तरह देश में वक्फ बोर्ड है, जैन बोर्ड बनाने की घोषणा हुई है ठीक उसी तर्ज पर हिंदू सनातन बोर्ड का गठन होना चाहिए. उन्होंने भारत सरकार समेत प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव से मांग की है कि बगैर देर किए सनातन बोर्ड का गठन होना चाहिए इससे मंदिर और तीर्थ स्थल सुरक्षित रहेंगे.