
नागपुर. नागपुर जिले के प्रसिद्ध मां जगदंबा कोराडी मंदिर के पार्किंग ठेके को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। हाल ही में पता चला कि मंदिर के पार्किंग का ठेका एक मुस्लिम ठेकेदार को दिया गया है, जिससे भक्तों में नाराजगी फैल गई है। इस निर्णय पर विभिन्न हिंदुत्ववादी संगठनों ने कड़ी आपत्ति जताई है और सोशल मीडिया पर ट्रस्ट के अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले को ट्रोल किया जा रहा है। जगदंबा मंदिर, जो कि लाखों भक्तों का श्रद्धा का केंद्र है, में हर दिन भारी संख्या में भक्त दर्शन के लिए आते हैं। भक्तों को अपनी गाड़ियों की पार्किंग के लिए शुल्क चुकाना पड़ता है, और इस पैसे का उपयोग मंदिर प्रशासन द्वारा विभिन्न सेवाओं और विकास कार्यों में किया जाना चाहिए। लेकिन अब यह ठेका एक ऐसे ठेकेदार को दिया गया है, जिस पर कुछ लोगों को आपत्ति है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे पोस्ट में लिखा गया है, “उत्सव हिंदू का कमाई विधर्मियों की।” इस संदेश ने लोगों में आक्रोश पैदा कर दिया है और कई भक्तों ने इसे हिंदू समुदाय के प्रति अन्याय बताया है। उनके अनुसार, जब करोड़ों रुपए हिंदू भक्तों द्वारा दिए जाते हैं, तो उस पैसे का प्रबंधन किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा क्यों किया जाए, जो उनकी आस्था के खिलाफ हो। विभिन्न हिंदुत्व संगठनों ने मांग की है कि इस फैसले पर पुनर्विचार किया जाए। उनकी मान्यता है कि मंदिर प्रशासन को ऐसे निर्णय लेते समय भक्तों की भावनाओं का ध्यान रखना चाहिए। इसके अलावा, इस मामले को लेकर मंदिर संस्थान की ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, जिससे भक्तों में और अधिक भ्रम और नाराजगी उत्पन्न हो रही है। चंद्रशेखर बावनकुले, जो कि भाजपा के नेता भी हैं, पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। भक्तों का कहना है कि वह हिंदू आस्था का सम्मान नहीं कर रहे हैं और उन्हें जल्द से जल्द इस मामले को सुलझाना चाहिए। भक्तों का गुस्सा इस बात पर भी है कि क्या यह पहली बार है जब उनकी भावनाओं को दरकिनार किया गया है। इस पूरे घटनाक्रम ने भक्तों के बीच एक बड़ा मुद्दा खड़ा कर दिया है। अब यह देखना होगा कि क्या मंदिर प्रशासन इस पर कोई ठोस कदम उठाएगा या भक्तों का आक्रोश बढ़ता रहेगा। भक्तों की भावनाओं को नजरअंदाज करना कहीं न कहीं उनके विश्वास को कमजोर कर सकता है, और इससे मंदिर की छवि भी प्रभावित हो सकती है। इस मुद्दे पर आगे की प्रतिक्रिया और कार्रवाई का इंतजार भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण विषय बन चुका है। क्या चंद्रशेखर बावनकुले इस विवाद को सुलझाने में सफल होंगे, यह आने वाला समय बताएगा।