
नागपुर. उत्तर नागपुर विधानसभा क्षेत्र से 99,410 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे डॉ. मिलिंद माने ने चुनाव परिणामों के बाद किए गए कुछ दुष्प्रचार पर खुलासा किया है। उन्होंने कहा कि उत्तर नागपुर की जनता द्वारा दिए गए समर्थन को वह सराहते हैं और स्वीकार करते हैं। साथ ही, उन्होंने विरोधियों द्वारा फैलाए गए कुछ झूठे प्रचारों का जवाब भी दिया।
1. जाति और धर्म पर स्पष्टता: डॉ. माने ने यह स्पष्ट किया कि वह बौद्ध नहीं, बल्कि मातंग जाति से हैं। उनका कहना था कि उनके खिलाफ चलाया गया यह झूठा प्रचार पिछले दो चुनावों से जारी है। उन्होंने बताया कि उनके माता-पिता ने 14 अक्टूबर 1956 को नागपुर की दीक्षाभूमी पर बौद्ध धम्म की दीक्षा ली थी और उनके शैक्षिक प्रमाणपत्र पर भी ‘बौद्ध’ ही दर्ज है। उन्होंने अपनी जाति के प्रमाणपत्र की प्रति भी साझा की।
2. अभिजीत तांबे के पांव धोने का विवाद: डॉ. माने ने उस वीडियो पर प्रतिक्रिया दी, जिसमें उन्होंने अभिजीत तांबे के पांव धोने की बात कही थी। उन्होंने कहा कि यह एक सम्मान का प्रतीक था, जो कोविड-19 के दौरान सफाई कर्मचारियों के असाधारण कार्यों को पहचानने के लिए किया गया था। डॉ. माने ने बताया कि तांबे का सम्मान केवल उनकी भलाई के लिए था, और इसे किसी भी तरह से ताने-बाने के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि वह कभी भी डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर का अपमान नहीं करेंगे।
3. “डमी उम्मीदवार” का आरोप: डॉ. माने ने इस आरोप का भी खंडन किया कि वह डमी उम्मीदवार थे। उन्होंने बताया कि माजी नगरसेवक श्री. विक्की कुकरेजा इस चुनाव में उम्मीदवार थे, और पार्टी ने उन्हें संयोजक के रूप में कार्यभार सौंपा था। उन्होंने चुनाव संचालन में अपने सहयोगियों की भूमिका की भी पुष्टि की डॉ. माने ने अंत में यह कहा कि चुनावी राजनीति में इस तरह के झूठे प्रचार से जनता को भ्रमित किया गया, लेकिन वे हमेशा सत्य के साथ खड़े रहेंगे।