
विदर्भ क्षेत्र में न्यूरोलॉजी के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुई है। यहां पहली बार पार्किंसन्स रोग के इलाज के लिए डीप ब्रेन स्टिमुलेशन (डीबीएस) सर्जरी सफलतापूर्वक की गई है। इस ऐतिहासिक चिकित्सा प्रक्रिया ने विदर्भ को अत्याधुनिक उपचार के क्षेत्र में प्रमुख स्थान दिलाया है। यह सर्जरी वोक्हार्ट हॉस्पिटल की एक विशेषज्ञ टीम ने की, जिसकी अगुवाई फंक्शनल न्यूरोसर्जन प्रो. डॉ. मनीष बाल्दिया ने की। डीबीएस सर्जरी एक क्रांतिकारी तकनीक है, जिसमें मस्तिष्क के विशिष्ट हिस्सों में विद्युत आवेग भेजने के लिए एक डिवाइस प्रत्यारोपित किया जाता है। इससे पार्किंसन्स के मरीजों में कंपन, मांसपेशियों में जकड़न, और धीमी गति जैसे लक्षणों में सुधार होता है। प्रेस कांफ्रेंस के दौरान, प्रो. डॉ. मनीष बाल्दिया ने बताया, “डीबीएस सर्जरी ने पार्किंसन्स रोग के इलाज को वैश्विक स्तर पर नया रूप दिया है। यह न्यूनतम इनवेसिव सर्जरी है, जिससे मरीजों के जीवन की गुणवत्ता में महत्वपूर्ण सुधार होता है, खासकर उन मरीजों के लिए जिन पर दवाएं असर नहीं करतीं।” सर्जरी के बाद, 52 वर्षीय मरीज श्री हिंदे, जो पिछले दस वर्षों से पार्किंसन्स से जूझ रहे थे, ने अपनी स्वास्थ्य स्थिति में उल्लेखनीय सुधार देखा। सर्जरी के दो सप्ताह बाद, उनकी दवाइयों की खुराक में भी 80% तक कमी आई, जिससे उनके लक्षणों में राहत मिली और गतिशीलता तथा मूड में सुधार हुआ। वोक्हार्ट हॉस्पिटल के सेंटर हेड श्री रवि ने कहा, “विदर्भ में डीबीएस सर्जरी की उपलब्धता से मरीजों को इलाज के लिए दूर-दराज नहीं जाना पड़ेगा, जिससे समय और संसाधनों की बचत होगी।” इस सफलता के साथ, वोक्हार्ट हॉस्पिटल ने अपने न्यूरोकेयर क्षेत्र में एक नया आयाम स्थापित किया है। डीबीएस के अलावा, अस्पताल में अन्य बीमारियों जैसे डिस्टोनिया, एपिलेप्सी, और अवसाद का इलाज भी इस तकनीक से संभव है। इस ऐतिहासिक कदम ने क्षेत्र में अत्याधुनिक उपचार की उपलब्धता को बढ़ावा दिया है और यह अस्पताल की प्रतिबद्धता को मजबूत करता है, जिससे अब अधिक मरीजों को जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए बेहतर इलाज मिल सकेगा।