
नागपुर. महाराष्ट्र की ऐतिहासिक नाट्य परंपरा केवल राज्य की ही नहीं, बल्कि देश की सांस्कृतिक धरोहर का अहम हिस्सा है। इस परंपरा का वारसा नई पीढ़ी तक पहुँचाने की आवश्यकता है, यह बात महाराष्ट्र के मराठी भाषा मंत्री उदय सामंत ने आज यहाँ कही। वे रेशिमबाग स्थित कविवर्य सुरेश भट सभागृह में अखिल भारतीय मराठी नाट्य परिषद के नागपुर शाखा द्वारा आयोजित विभागीय मराठी नाट्य संमेलन के समापन कार्यक्रम में बोल रहे थे। इस अवसर पर अखिल भारतीय मराठी नाट्य संमेलन के अध्यक्ष डॉ. जब्बार पटेल, नरेश गडेकर, अजय पाटील समेत अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे। मंत्री उदय सामंत ने कहा कि नाट्य परिषद और नाट्य क्षेत्र में सक्रिय संस्थाओं को नवयुगीन रंगमंच के सफर को नई पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए पहल करनी चाहिए। नाटक के माध्यम से सामाजिक संदेश देने की परंपरा को बनाए रखना आवश्यक है। हाल ही में ज्ञानेश्वरी को ई-बुक के रूप में उपलब्ध कराया गया है और संत तुकाराम महाराज के साढ़े चार हजार अभंगों को भी ई-बुक में लाने का प्रयास चल रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि विभिन्न माध्यमों के जरिए रंगमंच का यह समृद्ध वारसा नई पीढ़ी तक पहुँचाना चाहिए। कार्यक्रम में मंत्री श्री सामंत ने नाट्य क्षेत्र से जुड़े विभिन्न कलाकारों को सम्मानित किया। कार्यक्रम का उद्घाटन नरेश गडेकर ने किया, जबकि अभिनेत्री भाग्यश्री चिरमुले ने सूत्र संचालन किया और आभार अजय पाटील ने व्यक्त किया। चार दिवसीय संमेलन का आयोजन: 24 से 27 अप्रैल तक नागपुर में आयोजित इस विभागीय नाट्य संमेलन में विभिन्न नाट्य प्रयोगों और चर्चा सत्रों का आयोजन किया गया था। स्थानीय रंगकर्मियों और दर्शकों ने कार्यक्रमों में भारी रुचि दिखाई।