
DESK NEWS. भारत सरकार के वित्तीय सेवा विभाग द्वारा 7 अप्रैल 2025 को प्रकाशित राजपत्र के अनुसार देशभर में “एक राज्य, एक ग्रामीण बैंक” की नीति लागू की जा रही है। इसके तहत देश के 11 राज्यों में वर्तमान में कार्यरत 26 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का विलय कर उन्हें 11 बैंकों में समाहित किया जाएगा। इस निर्णय के बाद देश में ग्रामीण बैंकों की संख्या 43 से घटकर 28 रह जाएगी। यह एकीकरण 1 मई 2025 से प्रभावी होगा। महाराष्ट्र राज्य की बात करें तो वर्तमान में राज्य में ‘महाराष्ट्र ग्रामीण बैंक’ और ‘विदर्भ कोकण ग्रामीण बैंक’ दो क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक कार्यरत हैं। “एक राज्य, एक ग्रामीण बैंक” नीति के तहत 1 मई 2025 से राज्य में केवल एक ही — ‘महाराष्ट्र ग्रामीण बैंक’ — कार्यरत रहेगी। विदर्भ कोकण ग्रामीण बैंक के 17 जिलों में फैले सेवा क्षेत्र, शाखाएँ, संपत्ति, ऋण और खाताधारक अब महाराष्ट्र ग्रामीण बैंक में विलीन हो जाएंगे। इस विलय के साथ ही मराठवाड़ा, उत्तर महाराष्ट्र और पश्चिम महाराष्ट्र में कार्यरत महाराष्ट्र ग्रामीण बैंक अब पूरे राज्य में अपनी सेवाएँ विस्तारित करेगी। दोनों बैंकों के विलय के साथ केंद्र सरकार, राज्य सरकार और प्रायोजक बैंक (बैंक ऑफ महाराष्ट्र) के शेयरधारिता ढांचे का भी एकीकरण किया जाएगा। वित्तीय सेवा विभाग ने स्पष्ट किया है कि विलय के बाद भी बैंक ऑफ महाराष्ट्र, महाराष्ट्र ग्रामीण बैंक की प्रायोजक बैंक बनी रहेगी। 31 मार्च 2025 की अलेखापरीक्षित जानकारी के अनुसार, महाराष्ट्र ग्रामीण बैंक के पास लगभग ₹19,750 करोड़ की जमा और ₹11,850 करोड़ का ऋण वितरण है, वहीं विदर्भ कोकण ग्रामीण बैंक के पास लगभग ₹6,800 करोड़ की जमा और ₹4,375 करोड़ का ऋण वितरण है। विलय के बाद महाराष्ट्र ग्रामीण बैंक का कुल व्यवसाय लगभग ₹42,775 करोड़ का होगा। इसके अलावा, दोनों बैंकों की मौजूदा 427 और 321 शाखाओं के विलय से राज्यभर में महाराष्ट्र ग्रामीण बैंक की कुल 748 शाखाएँ और 13 क्षेत्रीय कार्यालय संचालित होंगे। वित्त मंत्रालय ने यह भी घोषणा की है कि बैंक का मुख्यालय छत्रपति संभाजीनगर (पूर्व में औरंगाबाद) में स्थित रहेगा। एकीकरण के बाद महाराष्ट्र ग्रामीण बैंक में लगभग 3,000 अधिकारी एवं कर्मचारी कार्यरत होंगे।