
नागपुर: राज्य के पूर्व गृह मंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता शरद चंद्र पवार की पार्टी अनिल देशमुख ने मुंबई में मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई की कथित अवमानना को लेकर सरकार की आलोचना की है। उन्होंने कहा है कि मुख्य न्यायाधीश भूषण गवई की अवमानना महाराष्ट्र जैसे प्रगतिशील राज्य को शोभा नहीं देती।
न्यायमूर्ति भूषण गवई ने हाल ही में देश के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदभार और गोपनीयता की बागडोर संभाली। इसके बाद वह रविवार को डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर को श्रद्धांजलि देने चैत्यभूमि आये। मुख्य न्यायाधीश चुने जाने के बाद यह उनकी पहली मुंबई यात्रा थी। चैत्यभूमि के लिए रवाना होने से पहले मुंबई में महाराष्ट्र और गोवा बार काउंसिल द्वारा उनका अभिनंदन किया गया। लेकिन राज्य के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक और मुंबई पुलिस आयुक्त – तीनों में से कोई भी समारोह में उपस्थित नहीं था। मुख्य न्यायाधीश भूषण गवई ने कड़े शब्दों में इस अनुपस्थिति पर ध्यान दिया। महाराष्ट्र से कोई व्यक्ति पहली बार देश के सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में राज्य में आया। उन्होंने कहा कि इसलिए यदि महाराष्ट्र के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक और मुंबई पुलिस आयुक्त को इस कार्यक्रम में शामिल होना उचित नहीं लगता तो उन्हें इस पर विचार करना चाहिए। इस पृष्ठभूमि में अनिल देशमुख ने शिष्टाचार के मुद्दे पर इन तीनों अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई।
यह बहुत ही खेद की बात है कि देश के मुख्य न्यायाधीश माननीय न्यायमूर्ति भूषण गवई, जो पहली बार महाराष्ट्र के दौरे पर आ रहे हैं, के दौरे में राज्य सरकार का एक भी वरिष्ठ अधिकारी मौजूद नहीं है। न्यायमूर्ति गवई महाराष्ट्र का गौरव हैं। देशमुख ने कहा है कि शिष्टाचार में ये चूक और उनका अपमान महाराष्ट्र जैसे प्रगतिशील राज्य को शोभा नहीं देता।