लोकसभा चुनाव 2024 में महाराष्ट्र से जो नतीजे आ रहे हैं, वो चौंकाने वाले हैं. यूं तो पूरे देश में ही भारतीय जनता पार्टी और उसके गठबंधन की सीटें कम हुई हैं. लेकिन लोकसभा सीटों के हिसाब से सबसे बड़े दोनों राज्यों में बीजेपी गठबंधन को बड़ा नुकसान हुआ है. महाराष्ट्र में तो उद्धव ठाकरे असली ‘शिवसेना’ बनकर उभरे हैं. साल 2019 में एनडीए को उत्तर प्रदेश में कुल 64 सीटों पर जीत मिली थी. लेकिन इस बार यूपी में कुल 80 सीटों में से 36 पर ही आगे चल रही है. सबसे बड़ा फायदा INDIA गठबंधन को हुआ है. साल 2019 में जिस महागठबंधन को 15 सीटें मिली थी, उससे जुड़ी पार्टियों से बनी INDI गठबंधन को इस बार 42 सीटें मिलती नजर आ रही हैं. यानी सबसे बड़े राज्य में NDA को कुल 28 सीटों का नुकसान हो रहा है. महाराष्ट्र में भी हालात ऐसे ही हैं.
साल 2019 में महाराष्ट्र में NDA ने कुल 41 सीटें जीती थीं, जिसमें भाजपा ने अकेले 23 सीटों पर परचम लहराया था. वहीं शिवसेना को 18 सीटों पर जीत मिली थी. ये वो शिवसेना थी, जिसके मुखिया उद्धव ठाकरे हुआ करते थे. लेकिन आपसी रंजिश की वजह उद्धव ठाकरे की शिवसेना और भाजपा में विवाद हुआ. दोनों के रास्ते अलग हो गए. बाद में एकनाथ शिंदे खुद शिवसेना प्रमुख बन गए. ऐसे में उद्धव ठाकरे को मजबूरी में अलग शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) बनानी पड़ी. विवाद की वजह से उद्धव ठाकरे INDI गठबंधन का हिस्सा हुए. महाराष्ट्र की जनता ने भी उनका सपोर्ट किया, जिसकी वजह से इस बार उन्होंने मजबूती से वापसी की, जिसकी वजह से INDI गठबंधन को भी फायदा हुआ. पिछली बार UPA जहां 5 सीट पर सिमट गई थी, वहीं इस बार महाराष्ट्र में इंडी गठबंधन (पुरानी UPA) को 28 सीटें मिलती हुई नजर आ रही हैं.
ऐसा है पार्टीवाइज परफॉर्मेंस
महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा को 12 सीटें मिलती हुई दिख रही हैं, जबकि 2019 में 23 सीटों पर जीत हासिल की थी. इस तरह भाजपा को 11 सीटों का नुकसान हो रहा है. वहीं, कांग्रेस को 2019 में 4 सीटें मिली थीं, जिसे अब 10 मिल रही हैं. यानी 6 सीटों का फायदा कांग्रेस को हो रहा है. इलेक्शन कमिशन के हालिया आंकड़ों के मुताबिक, शिवसेना (UBT) को 10 सीटों पर, एनसीपी (SP) को 8 सीटों पर, शिवसेना (शिंदे गुट) को 6 सीटों पर तथा एनसीपी (अजीत पवार) को 1 सीट पर जीतने का अनुमान है. वहीं, 1 सीट पर निर्दलीय प्रत्यासी विशाल पाटिल हैं, जो पहले कांग्रेस पार्टी में हुआ करते थे. लेकिन गठबंधन के तहत जब सांगली की सीट शिवसेना (यूबीटी) के पास गई तो विशाल ने निर्दलीय लड़ने का ऐलान कर दिया और जीत के करीब हैं.