
Desk News. उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित केदारनाथ मंदिर भारत के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह मंदिर समुद्र तल से 3,583 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और भगवान शिव को समर्पित है। हिमालय की गोद में बसे इस मंदिर का उल्लेख महाभारत और स्कंद पुराण जैसे प्राचीन ग्रंथों में भी मिलता है। पौराणिक कथा के अनुसार, महाभारत युद्ध के पश्चात पांडव अपने पापों के प्रायश्चित हेतु भगवान शिव की खोज में केदार की ओर आए। शिव उनसे रुष्ट थे और उन्हें क्षमा करने को तैयार नहीं थे, इसलिए उन्होंने बैल (नंदी) का रूप लेकर छुपने का प्रयास किया। पांडवों ने उन्हें पहचान लिया और भीम ने दो पर्वतों के बीच खड़े होकर उन्हें पकड़ने का प्रयास किया। उसी समय भगवान शिव ज़मीन में समा गए और उनकी पीठ बाहर रह गई। यही स्थान बाद में केदारनाथ के रूप में प्रसिद्ध हुआ। कहा जाता है कि शिव के शरीर के अन्य भाग भी अलग-अलग स्थानों पर प्रकट हुए, जिन्हें पंचकेदार कहा जाता है। धार्मिक दृष्टिकोण से केदारनाथ अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह मंदिर चार धाम यात्रा और पंचकेदार यात्रा का अहम हिस्सा है। यहां की कठिन यात्रा, हिमालय की प्राकृतिक सुंदरता और आध्यात्मिक ऊर्जा श्रद्धालुओं को एक अद्वितीय अनुभव प्रदान करती है। हर साल हजारों श्रद्धालु कठिन रास्तों को पार कर भगवान केदारनाथ के दर्शन करते हैं। यह मंदिर केवल आस्था का प्रतीक नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, विश्वास और आध्यात्मिकता का जीवंत केंद्र है।