
Nagpur. जहां एक ओर चुनावों के नजदीक आते ही विभिन्न राजनीतिक दल अपने-अपने घोषणा पत्र प्रस्तुत कर रहे हैं, वहीं विदर्भ के युवाओं ने उत्साहपूर्वक देशहित का घोषणा पत्र तैयार किया और परिचर्चा में सक्रिय भागीदारी निभाई। युवक बिरादरी (भारत) और श्री सत्यसाई विद्या मंदिर स्कूल के संयुक्त तत्वावधान में रविवार को ‘मेरा घोषणा पत्र’ नामक परिचर्चा प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। विदर्भ के 50 युवाओं ने अपने-अपने घोषणा पत्र लिखित रूप में बिरादरी को भेजे। इनमें से श्रेष्ठ 15 प्रतिभागियों को श्री सत्यसाई विद्या मंदिर स्कूल के सभागार में आमंत्रित किया गया, जहां उन्होंने अपने घोषणा पत्र प्रस्तुत किए। प्रतियोगिता का उद्घाटन दैनिक ‘सकाळ’ के संपादक प्रमोद काळबांडे द्वारा किया गया। मंच पर प्रमुख अतिथि के रूप में अथर्व फाउंडेशन के अध्यक्ष अजय खुडसंगे, स्क्वेयर मीडिया सोल्यूशंस की निदेशिका मंजुषा जोशी, सामाजिक कार्यकर्ता खुशाल ढाक, स्व. दौलतराव ढवळे बहुद्देश्यीय शिक्षा संस्थान के अध्यक्ष नरेंद्र ढवळे, श्री सत्यसाई विद्या मंदिर के प्रधानाध्यापक निलेश सोनटक्के, डॉ. राजेंद्र वाटाणे, और निर्णायक मंडल के सदस्य अमोल पुसदकर, डॉ. स्वाति रहाटे, और डॉ. कोमल ठाकरे उपस्थित रहे। दैनिक ‘सकाळ’ के संपादक प्रमोद काळबांडे ने अपने संबोधन में कहा, “इस प्रतियोगिता के माध्यम से चुनावों से पहले व्यापक चर्चा और जनता का मार्गदर्शन आवश्यक है। यह केवल एक प्रतियोगिता नहीं, बल्कि एक आंदोलन है।” निर्णायक अमोल पुसदकर ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि चिंतनशील पीढ़ी के निर्माण के लिए युवक बिरादरी द्वारा उठाया गया यह कदम सराहनीय है।समापन सत्र में अतिथि रमेश लेकुरवाळे उपस्थित थे। युवाओं ने रोजगार सृजन की नीति, कृषि और तकनीक, भ्रष्टाचार उन्मूलन की नीति, और आर्थिक नीतियों जैसे विषयों पर अपने घोषणा पत्र प्रस्तुत कर ठोस और बेबाक राय रखी। प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार ओम ढोक ने जीता, जबकि द्वितीय पुरस्कार वेदांत भोयर को मिला। प्रोत्साहन पुरस्कार आदित्य ठाकरे, कौस्तुभ पाचोड़े, और साहिल रामटेके को दिया गया। विजेताओं को नकद पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन आकाश टाले ने किया और आभार प्रदर्शन समीक्षा वरभे ने किया। प्रारंभिक भाषण अभिजीत खोडके ने दिया। प्रतियोगिता की सफलता के लिए क्षेत्रीय समन्वयक सचिन वाकुळकर, रितेश कडव, अंकुश कडू, स्कूल के शिक्षक एवं कर्मचारी और सिंबायोसिस इंस्टीट्यूट के छात्रों ने सहयोग किया।